कोरोना महामारी के दौरान दुनिया भर में लगे कोविड-19 वैक्सीन ने करोड़ों जिंदगियां बचाईं, लेकिन अब यह फिर से सुर्खियों में है। दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च में दावा किया है कि वैक्सीन लेने वालों में 6 तरह के कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। यह खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इसे वैज्ञानिक रूप से कमजोर बताते हुए खारिज कर दिया है। आखिर क्या है इस स्टडी का सच? आइए जानते हैं पूरी बात।
स्टडी का दावा: वैक्सीन और कैंसर का कनेक्शन?
यह रिसर्च 2021 से 2023 तक के आंकड़ों पर आधारित है। कोरियाई शोधकर्ताओं ने करीब 84 लाख वयस्कों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। इसमें वैक्सीन लेने वालों और न लेने वालों की तुलना की गई। स्टडी के मुताबिक, वैक्सीनेटेड लोगों में एक साल के अंदर कैंसर के मामलों में वृद्धि देखी गई। खासकर mRNA वैक्सीन (जैसे फाइजर और मॉडर्ना) और cDNA वैक्सीन को विभिन्न कैंसर से जोड़ा गया।
शोध के अनुसार, वैक्सीन लेने वालों में ये कैंसर का खतरा बढ़ा:
| कैंसर का प्रकार | जोखिम में वृद्धि (अनुमानित) |
|---|---|
| प्रोस्टेट कैंसर | 68% तक |
| फेफड़ों का कैंसर | 53% तक |
| थायरॉइड कैंसर | 35% तक |
| गैस्ट्रिक (पेट) कैंसर | 34% तक |
| कोलोरेक्टल कैंसर | 28% तक |
| ब्रेस्ट कैंसर | 20% तक |
शोधकर्ताओं का कहना है कि mRNA वैक्सीन थायरॉइड, फेफड़े, कोलन और ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी हो सकती है, जबकि cDNA वैक्सीन थायरॉइड, गैस्ट्रिक, कोलन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसर का कारण बन सकती है। यह दावा सुनते ही दुनिया भर में हड़कंप मच गया, क्योंकि कोविड वैक्सीन को पहले भी हार्ट अटैक और अन्य साइड इफेक्ट्स से जोड़ा जाता रहा है।
‘कैंसर रातोंरात नहीं होता’
लेकिन इस स्टडी पर चिकित्सा जगत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका की जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डॉक्टर बेंजामिन मेजर ने इसे ‘वैज्ञानिक रूप से कमजोर’ करार दिया। उनका तर्क है कि कैंसर कोई ऐसी बीमारी नहीं जो वैक्सीन लगते ही हो जाए। इसके विकास में सालों लगते हैं। डॉ. मेजर ने कहा, “यह स्टडी सिर्फ कैंसर के डायग्नोसिस पर आधारित है, न कि वैक्सीन से उसके उत्पत्ति पर। अगर वैक्सीन कैंसर का कारण होती, तो 2022 तक कोरिया में कैंसर केसों में भारी उछाल आता, जो कोरियन कैंसर एसोसिएशन के आंकड़ों से मेल नहीं खाता।”
अन्य विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि स्टडी में सही कंट्रोल ग्रुप नहीं है और यह सिर्फ सह-संबंध दिखाती है, कारण नहीं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और CDC जैसे संगठन पहले ही कह चुके हैं कि कोविड वैक्सीन सुरक्षित है और कैंसर का कोई प्रमाणित लिंक नहीं है। भारत में भी ICMR और अन्य स्वास्थ्य एजेंसियां वैक्सीन की सुरक्षा पर भरोसा जताती रही हैं।
विवादों से घिरी लेकिन जीवनरक्षक
कोविड-19 वैक्सीन का सफर आसान नहीं रहा। 2020-21 में जब दुनिया लॉकडाउन में थी, तब ये वैक्सीन उम्मीद की किरण बनीं। लेकिन साइड इफेक्ट्स की अफवाहों से लेकर अब कैंसर तक के दावे आते रहे। लाखों लोगों ने इसे लिया, और महामारी को काबू करने में इसकी भूमिका अहम रही। फिर भी, ऐसी स्टडीज से जनता में भ्रम फैलता है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि वैक्सीन की सुरक्षा पर भरोसा रखें, लेकिन किसी भी स्वास्थ्य समस्या पर डॉक्टर से सलाह लें।
यह कोरियाई स्टडी बहस तो छेड़ रही है, लेकिन निर्णायक सबूत नहीं मानी जा रही। वैज्ञानिक समुदाय को और रिसर्च की जरूरत है। फिलहाल, कोविड वैक्सीन को लेकर डरने की बजाय फैक्ट्स पर यकीन करें। अगर आपको कोई स्वास्थ्य चिंता है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें।














