गाजीपुर, 9 अक्टूबर 2025: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले की अदालत ने एक दिल दहला देने वाली घटना पर सख्त फैसला सुनाया है। आठ साल के मासूम बच्चे के साथ दुष्कर्म करके उसकी हत्या करने वाले आरोपी संजय नट को फांसी की सजा हो गई है। विशेष पॉक्सो कोर्ट के जज ने कहा कि ये अपराध इतना घिनौना है कि इससे कम सजा देना नामुमकिन है। सजा सुनाते हुए जज ने अपनी कलम तोड़ दी, जो पुरानी परंपरा का हिस्सा है।
ये मामला फरवरी 2024 का है, जब गहमर थाने के एक गांव में ये वारदात हुई थी। आरोपी संजय नट ने पड़ोसी के बच्चे को चॉकलेट का लालच देकर अपने घर बुलाया। घर पर उसकी पत्नी और मां नहीं थीं। वहां उसने बच्चे पर जबरदस्ती की कोशिश की, फिर गला दबाकर हत्या कर दी। लाश को प्लास्टिक की बोरी में भरकर अपने घर के लोहे के बक्से में छिपा दिया।
दो दिन बाद बच्चे के माता-पिता ने गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई। तलाश के दौरान एक छोटी लड़की ने बताया कि संजय को बच्चा अपने साथ ले जाते देखा था। पुलिस और परिवार वाले उसके घर पहुंचे तो बक्से से सड़ी हुई लाश निकली। बदबू इतनी तेज थी कि सबके होश उड़ गए। आरोपी की पत्नी और मां ने भी कहा कि दो दिन से संजय घर में घुसने नहीं दे रहा था। पुलिस ने उसे मुठभेड़ में पकड़ा, जिसमें उसके पैर में गोली लगी।
केस दर्ज होने के बाद पोस्टमॉर्टम में शव पर स्पर्म के निशान मिले, जिससे मामला पॉक्सो एक्ट और हत्या के तहत और मजबूत हो गया। करीब 20 महीने की सुनवाई चली। विशेष लोक अभियोजक प्रभु नारायण सिंह ने गवाहों और सबूतों को इतना पुख्ता तरीके से पेश किया कि अदालत ने दोषी को दोषी ठहराया। सजा के साथ-साथ 1 लाख 80 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।
खास बात ये है कि गाजीपुर कोर्ट में 14 साल बाद ऐसा सख्त फैसला आया है। 2011 में चार लोगों की हत्या के केस में भी प्रभु नारायण सिंह ही अभियोजक थे, और तब भी फांसी हुई थी। सिंह साहब ने कहा, “ये फैसला अपराधियों के लिए चेतावनी है।” बच्चे के परिवार वाले तो फूट-फूटकर रो रहे थे, लेकिन अब उन्हें थोड़ी राहत मिली है।
Read also: पुरानी रंजिश में गाजीपुर के युवक पर हमला, गोली लगने से पारस यादव घायल














