नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PMDDKY)’ को औपचारिक रूप से लॉन्च कर दिया। यह योजना उन 100 आकांक्षी जिलों को निशाना बनाएगी, जहां कृषि उत्पादकता कम है और किसान साल में कम फसलें उगा पाते हैं। स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इसका ऐलान करने वाले पीएम ने कहा कि यह स्कीम देश के किसानों का भाग्य बदल देगी। 2025-26 से अगले छह साल तक चलने वाली इस योजना पर 24 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा स्कीमों को जोड़कर बनेगी। अनुमान है कि इससे 1 करोड़ 70 लाख किसान सीधे लाभान्वित होंगे।
योजना का फोकस कम उत्पादकता वाले इलाकों पर है, जहां अल्पावधि ऋण की पहुंच कम है और भूमि का इस्तेमाल सीमित। यूपी जैसे राज्य सबसे ज्यादा फायदे में हैं, जहां 12 जिले चुने गए हैं। यह स्कीम न सिर्फ फसल बढ़ाएगी, बल्कि पशुपालन, मत्स्य पालन और प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देगी।
यूपी टॉप पर, महोबा से ललितपुर तक 12 जिलों में बनेगी नई ताकत
उत्तर प्रदेश ने इस योजना में बाजी मार ली है। राज्य के 12 जिले—महोबा, सोनभद्र, हमीरपुर, बांदा, जालौन, झांसी, उन्नाव, प्रयागराज, चित्रकूट, प्रतापगढ़, श्रावस्ती और ललितपुर—शामिल हैं। ये ज्यादातर बुंदेलखंड और पूर्वांचल के कम विकसित इलाके हैं, जहां सूखा, कम सिंचाई और पुरानी खेती की वजह से किसान परेशान हैं। महाराष्ट्र के 9 जिले (पालघर, यवतमाल आदि), बिहार के 7 (मधुबनी, दरभंगा आदि), मध्य प्रदेश और राजस्थान के 8-8 जिले फॉलो कर रहे हैं। आंध्र, गुजरात, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और प. बंगाल से 4-4 जिले हैं।
प्रतापगढ़ जैसे यूपी के जिलों में आज लाइव प्रसारण के जरिए किसानों ने योजना देखी। जिला कृषि भवन पर इवेंट हुआ, जहां डीएम और विधायक ने हिस्सा लिया। 16 पशु मित्रों को सम्मानित भी किया गया।
36 स्कीमों का मेलजोल, जिला स्तर पर बनेगी खास योजना
योजना में कोई नया बजट नहीं, बल्कि मौजूदा 36 स्कीमों को एक सूत्र में बांधा गया है। हर जिले में ‘डिस्ट्रिक्ट एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट प्लान’ बनेगी, जिसमें प्रोग्रेसिव किसान भी शामिल होंगे। केंद्र, राज्य और जिला स्तर पर निगरानी होगी। 100 केंद्रीय नोडल ऑफिसर (CNOs) तैनात किए गए हैं, जो मंथली डैशबोर्ड से 117 इंडिकेटर्स चेक करेंगे। राज्यों को फंड मिलेगा, जो जिला स्तर पर खर्च होगा।
निजी कंपनियां आएंगी मैदान में, छोटे किसानों को क्लस्टर मॉडल
सरकार ने निजी क्षेत्र को बुलावा दिया है। फसल विविधीकरण, वैल्यू एडिशन और भंडारण के लिए कंपनियों को इंसेंटिव मिलेगा। फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड स्टोरेज और लॉजिस्टिक्स में PPP मॉडल चलेगा। FPOs, कोऑपरेटिव और महिला ग्रुप्स को जोड़ा जाएगा। छोटे-सीमांत किसानों को क्लस्टर में लाकर सामूहिक लाभ दिया जाएगा। महिलाओं को ‘ड्रोन दीदी’, ‘लखपति दीदी’, ‘कृषि सखी’ जैसे प्रोग्राम से जोड़ा जाएगा। सस्ता ऋण मिलेगा, ताकि उत्पादन बढ़े।
फसलें बदलेंगी, सिंचाई-भंडारण बनेगा मजबूत
योजना का जोर फसल विविधीकरण पर है दलहन, तिलहन, बागवानी के साथ अनाज। पशुपालन-मत्स्यपालन को प्रोत्साहन, भंडारण-सिंचाई का इंफ्रास्ट्रक्चर बनेगा। जलवायु-अनुकूल और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा। पोस्ट-हार्वेस्ट लॉस कम होगा, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिलेंगे।















